कुछ बूँदें बारिश की
बरस रही हैं आँगन में
मन में भी कुछ
गीलापन सा महसूस हो रहा है...
कुछ भीग गया है शायद
यादों के कुछ कपडे+ हैं
तह करके रखे थे
दिल के किसी कोने में...
अब इन्तज़ार ही कर सकती हूँ
कहीं से आये एक लिफ़ाफ़े का
जो होगा मेरे नाम का
पर पता नहीं होगा उस पर...
शायद कुछ धूप मिल जाये उसमें
लफ़्ज़ों में लिपटी हुई
जो हौले से सहला जाये
मन के गीलेपन को...
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