29 जून 2012

यहाँ मैं अनामिका हूँ...!



यहाँ मैं अनामिका हूँ
हिरन सी चौकड़ी भरती,
बेख़ौफ़ उडान..
हवा से बातें करते,
मदमस्त हौसले..
फिर भी जकड़ दिया
मुझे बेड़ियों में..
सुगन्धित हवा
कैद कर दी
नापाक पंजों में..
किस जहाँ का है ये फैसला
बात सिर्फ
एक फूल की नहीं,
हजारों की है..
दर्द में सिसकती
बेलगाम आहों की है..
कहनी है अपनी बात
सुननी ही होगी फरियाद
क्यों सिर्फ,
यहाँ मैं अनामिका हूँ.....!!

25 जून 2012

मत कहो मुझे चाँद...!




मत कहो मुझे चाँद !
मुझे नहीं भाता, ये अकेलापन
इससे अच्छा हम तारे होते
साथ-2 टिमटिमाते सारी रात
दिन भर तड़पते साँझ के इंतजार में
 इस तड़प का भी अलग मजा है
मीठा-2 सा दर्द महसूस होता है
कहो ना, बनोगे ना मेरे रात के हमसफ़र
आज से मुझे चाँद मत कहना
मुझे तारा होने में ही सुख है
       मुझे केवल तुम्हारा साथ चाहिए.....!!

20 जून 2012

जिन्दगी सा कुछ...!



कल जा रहा था रास्ते में
अगले ही मोड़ पर
ज़िन्दगी नजर आ गई,
टहलते हुए...
मैनें पूछा, कैसी हो ?
मुस्कुराते हुए बोली,
मजे में हूँ...
मैंने कहा, कभी घर आओ
साथ बैठकर चाय पियेंगे
कुछ तुम अपनी कहना
कुछ हम अपनी कहेंगे...
ज़िन्दगी मुस्कुरायी
हल्का सा लजाई
और हम भी लौट चले
उलटे पांव घर को
सोचते हुए, कि
चीनी और चाय-पत्ती तो
अभी बची ही होगी
रसोई के दूसरे तल्ले पे रखे
कांच के मर्तबान में.....!!

15 जून 2012

ज़िन्दगी.....!



रेत पे लिखा शब्द
हो गयी है मेरी ज़िन्दगी
नीरव, निःशब्द
सुनसान ज़िन्दगी...

क्योंकर इतना दुःख
मेरी झोली में आया 
बेनाम सा राग
बन गयी है ज़िन्दगी...

इस कदर तन्हा
बेनाम सी ज़िन्दगी
गर्म ज़मीन पर
नंगे पैरों चलती
सुलगती ज़िन्दगी...

जब भी देखना चाहा
अपने दिल में झाँककर
खाली ही लगती
तेरी याद ज़िन्दगी.....!!

10 जून 2012

पुनर्जन्म...!




आज हुआ पुनर्जन्म मेरा
जीती थी अब तक बिन सांसों के
बिन जाने खुद को, बिन पहचाने
कोई साथी भी ना था मेरा
ना ही मैं किसी की सखा थी
साथ थे तुम मेरे, मेरे आत्मविश्वास
   पर तुम्हें कभी पहचाना ना था...
बहुत कुछ था अन्दर छुपा हुआ मेरे
पर कभी उसको जान ना पाई मैं
आज खुद से मेरा परिचय हुआ
   बहुत दिनों बाद आज मैंने खुद को पाया है...
आज यूँ उड़ रही हूँ मैं
जैसे पा लिया सारा आकाश
   मेरी बाँहों में है धरा विशाल...
आज हर फूल, हर कली मेरे साथ है
ये मंद पवन मेरी संगिनी बन झूम रही है
यूँ लग रहा है जैसे
   हर परिंदा मेरे लिए ही गा रहा है...
दिल बार-2 कह रहा है कि
हर किसी को बता दूँ
   कि मैं आज कितनी खुश हूँ...
आज अपना एक पल खुद को दिया
एक लम्हा खुद को जिया
तब अपने होने का अहसास हुआ
कुछ पा लेने का विश्वास हुआ
यूँ लगा कि बहुत कुछ कर सकती हूँ मैं
इस दुनियाँ को भी बदल सकती हूँ मैं
आज के बाद इन आँखों में कभी आंसू ना होगा
होंगे केवल सपने, जिन्हें पूरा करुँगी मैं
क्योंकि आज मैंने जान लिया है कि
       मैं क्या हूँ.....!!

4 जून 2012

मैं चाहती हूँ तुम्हें, तुम्हारे लिए...



एक बार पूछा था तुमने मुझसे
क्यों चाहती हूँ मैं तुम्हें इतना
पता नहीं क्या सुनना चाहते थे तुम
पर मैं तो बस इतना ही कह पाई
मैं चाहती हूँ तुम्हें, तुम्हारे लिए...!

क्या इतना काफी नहीं है
किसी को प्यार करने के लिए ?
चाहती हूँ, भर दूँ तुम्हारी झोली खुशियों से
ना रहे दुःख का एक कण भी तुम्हारे जीवन में
बस इतनी ही चाहना है मेरी
हाँ, मैं चाहती हूँ तुम्हें, तुम्हारे लिए.....!!

2 जून 2012

सबसे उदास कविता..!




 सबसे उदास कविता..!
जो न लिखी गयी आज से पहले
   शायद इतना दर्द ही ना मिला होगा...
दर्द तो जीवन की आस की भांति
पग-२ पर बिखरा पड़ा है
   शायद किसी के दिल को न छुआ होगा...
इस दर्द में एक अलग अहसास है
क्योंकि एक सपने की मौत हुयी है
जीवन की आपाधापी में
   रोज एक सपने की मौत होती है...
आयेंगे अच्छे दिन भी
कितना बड़ा झूठ !
फिर भी मन को संतोष
और ईश्वर के अस्तित्व की अनुभूति को लेकर
एक चिथड़ा सुख के लिए
समय की शिला पर
   संघर्ष  और निर्माण चलता रहेगा...
धुंध से उठती धुन मधुरतम है,
क्योंकि सीमायें टूटती हैं,
और बेहतर दुनिया के लिए,
      सब कुछ होना बचा रहेगा.....!!