15 फ़रवरी 2014

विवाह-गीत / बन्ना... (लोक-गीत)






बजा नगाड़ा प्रेम का, बन्ना ब्याहन आया !!

सड़कों आया री, गोरी का बन्ना सड़कों आया।
घोड़े पे हो सवार, बरात बन्ना ले कर आया॥१॥
बजा नगाड़ा..........

गलियों आया री, गोरी का बन्ना गलियों आया।
हाथ फ़ूलों के गाजरे, बन्ना ले कर आया॥२॥
बजा नगाड़ा..........

मण्डप आया री, गोरी का बन्ना मण्डप आया।
हाथ सिंदूर की डीबिया, बन्ना ले कर आया॥३॥
बजा नगाड़ा..........

सेजों आया री, गोरी का बन्ना सेजों आया।
हाथ इतर की डीबिया, बन्ना ले कर आया॥४॥
बजा नगाड़ा..........

घूँघट खोलो री, नादान बन्नी घूँघट खोलो।
मैं परदेशी पावना, जरा मुख से बोलो॥
कैसे बोलूँ री, नादान बन्ने कैसे बोलूँ।
सास-ननद की बहुरिया, कैसे घूँघट खोलूँ॥

        x     x     x

4 फ़रवरी 2014

गज़ल






हे वसन्त ! तू अपने जैसा मधुमय कर दे।
जितना रसमय है तू, मुझको भी रसमय कर दे॥१॥

प्रतिपल, प्रतिक्षण बहती है रसधार तुझमें।
मुझ पर भी तू प्यार की बौछार कर दे॥२॥

प्राणमय है, कान्तिमय है, वत्सल भी तू।
मैं हूँ अकेली, मुझको अपनी छाँव दे दे॥३॥

प्रीत की पुलकित सी कोमलता है तुझमें।
उस कोमलांगी छुअन का एहसास भर दे॥४॥

ईश्वर का अभिनव वरदान, जो तुझको मिला है।
उस अंश में मुझको भी भागीदार कर दे॥५॥

          x   x   x   x