30 जुलाई 2014

मेरा सूरज है या चाँद कहूँ...






ऐ ज़िन्दगी! तुझे क्या कहूँ,
          मेरा सूरज है या चाँद कहूँ.....

सूरज की तपिश है तुझमें तो,
          चन्दा सी शीतलता भी है।
इनसे है जगमग दुनिया तो,
          मेरे दिल की रौनक तुझसे है।
मेरा सूरज है और चाँद भी तू,
          ऐ दिल बता तुझे क्या कहूँ.....

सूरज सा दमकता चेहरा है,
          चन्दा सी कोमल काया है।
दिल के अन्तस को जो छू ले,
          ऐसा अमृत-जल छलकाया है।
तू सब कुछ है, मेरा सब कुछ है,
          दिल ये कहे, मैं क्या करूँ.....

           **********

7 जुलाई 2014

जे हारें खितवा काटन जातीं (बुन्देलखण्डी लोक-गीत)






जे हारें खितवा काटन जातीं...

भुनसारें सें चकिया पीसैं
तनक नहीं अलसातीं॥१॥ जे हारें...

चनन की भाजी चटनी-मिर्चा
ले लई रोटी ताती॥२॥ जे हारें...

एक तो धर लओ टुकना ऊपर
दूजो काँख कँखियातीं॥३॥ जे हारें...

नारायण-२ इतनों करतीं
तऊँ नईं सुख पातीं॥४॥ जे हारें...

      **********