21 जनवरी 2015

बन्ना / विवाह-गीत (लोक-गीत)




तू काहे फ़िरे इतराता बन्ने मेरा बादशाही...

माली गली मत जइओ बन्ने मेरा बादशाही
ये मालन बड़ी मिजाजन रे सेहरे को देर लगाई
तू काहे फ़िरे.....॥१॥

दर्जी गली मत जइओ बन्ने मेरा बादशाही
ये दर्जन बड़ी मिजाजन रे जामे को देर लगाई
तू काहे फ़िरे.....॥२॥

सुनार गली मत जइओ बन्ने मेरा बादशाही
ये सुनारन बड़ी मिजाजन रे कंगने को देर लगाई
तू काहे फ़िरे.....॥३॥


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13 जनवरी 2015

राही पथ ना जाना भूल..!




राही पथ ना जाना भूल..
जो पथ ‌सत् का
रहे अटल वो
कभी ना तेरा मन भटके
हों कितने ही कष्ट मार्ग में
पग-पग पर हों बाधाएँ
किन्तु कभी ना डगमग होना
ना निराश निज मन को करना..
भले असत् मार्ग अपनाकर
जो है सरल, मनोहर, सुन्दर
तू पग-पग पर गर्वित हो ले
किन्तु अन्त में पछताएगा
खुद से हारा कहलाएगा..
होगी अन्तिम विजय उसी की
जो निज मन से ना हारेगा
सत्य मार्ग को अपनाकर ही
आत्म-विजेता कहलायेगा..


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