ज़िन्दगी के कुछ फ़लसफ़े
जो सही हैं
सबकी नज़र में
हम क्यों नहीं देख पाते उन्हें
एक नई नज़र से.....?
सिर्फ़ इसलिए
कि मिल गई है उन्हें सहमति
पूर्ण बहुमत की
जो शायद जरूरी है
सुदृढ़ता से खड़े रहने के लिए
इस समाज में...
या शायद
हिम्मत नहीं है हममें
सच को सामने लाने की..
वो सच
जो ढक दिया गया है
झूठ के काले नकाबों से
और चढ़ा दिया गया है सूली
वक्त की सलीब पर.....
वक्त की स्याही
झूठ के स्याह रंग को
और गाढ़ा कर देती है,
जिस पर सच का
कोई रंग नहीं खिल पाता.....
हिम्मत दिखानी होगी..
काली अँधियारी रात्रि को,
श्वेत प्रकाश से
धवल बनाने की.....
सच का दीप जलाना होगा
रंगों को जगमगाना होगा
कभी किसी को तो आगे आना होगा.....!!
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kabhi kisi ko aage aana hoga sahi kaha sundar rachna
जवाब देंहटाएंआपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 20/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंबेहद सशक्त और बेबाक अभिव्यक्ति...
अनु
वक्त की स्याही
जवाब देंहटाएंझूठ के स्याह रंग को
और गाढ़ा कर देती है,
जिस पर सच का
कोई रंग नहीं खिल पाता.....
बहुत सही कहा आपने ...
बहुत सही कहा है आपने ..बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति . आभार हाय रे .!..मोदी का दिमाग ................... .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंवाह...!
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रस्तुति!
आभार!
सच का दीप जलाना होगा
जवाब देंहटाएंरंगों को जगमगाना होगा
कभी किसी को तो आगे आना होगा.....!!
बहुत खुबसूरत प्रस्तुति
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आह्वाहन करती रचना, शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!
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