19 जुलाई 2012

हमारा प्रेम ईश्वरीय है...!



शायद हमारा प्रेम
ईश्वर ने अपनी कलम से लिखा है
तभी तो ये है
उसी की तरह पावन, उसी की तरह कोमल...

और भावनाएँ भी
इस तरह अश्रु के रूप में झरती हैं
मानों प्रभु खुद
अपने भक्त के लिए रो रहा हो...

दो हृदयों की सार्थकता खोकर
अहसास भी
इस तरह एकाकार हुए जाते हैं,
जिस तरह आत्मा
उस परम तत्व में विलीन होने को तत्पर रहती है...

शायद हमारा प्रेम ईश्वरीय ही है.....!!

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12 जुलाई 2012

मेरा जीवन-संघर्ष.....!



( ये कविता उन स्वतंत्रतासेनानियों तथा समाज-सेवियों  को समर्पित है, जो दूसरों के लिए अपने जीवन को न्योछावर करने में ज़रा भी नहीं सकुचाते... )



आज मेरा जीवन-संघर्ष,
   पूँछने लगा मुझसे यूँ आकर...
 क्या पाया तुमने,
   दूसरों के लिए खुद को मिटाकर...
  क्या जवाब देता मैं,
       रह गया मुस्कुरा कर.....!

   वो क्या जाने, कितना सुकून
पाता हूँ,
 जब दूसरों के दिल को,
   थोड़ी सी ख़ुशी दे पाता हूँ...
 शायद ये एहसास हो जाये,
      अपने इंसान होने का मतलब समझ में आ जाये.....!

मिटटी से उपजे और
   मिटटी में ही मिल जाना है...
 हमारे जीवन का,
   सिर्फ यही ताना-बाना है...
  गर दर्द बाँट लो, तुम दूसरों का,
      ये ताना खुशबुओं से सराबोर हो जाये.....!

 अनगिनत राहें खुल जाएँगी,
   उनमें से हर एक, मंजिल की ओर ले जाएगी...
 जीवन का स्वर्गिक आनंद तो पाओगे,
       इंसान होने का सही अर्थ भी समझ जाओगे.....!!

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6 जुलाई 2012

कुछ प्यार से...



प्यार भी ना
कितने प्यारे से उसूल हैं इसके
हर जिद में
अपने महबूब की ख़ुशी शामिल होती है.....

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कभी जिन्दगी को करीब से देखा है.....?
देखोगे
जब पड़ोगे किसी के प्यार में.....

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कितने ऊबड़-खाबड़ रास्तों से
गुजरती है ये जिन्दगी...
पर ये रास्ते भी
गुनगुनाने लगते हैं,
जब साथ हो कोई अजनबी
पर अपना सा.....!!

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