19 जुलाई 2012

हमारा प्रेम ईश्वरीय है...!



शायद हमारा प्रेम
ईश्वर ने अपनी कलम से लिखा है
तभी तो ये है
उसी की तरह पावन, उसी की तरह कोमल...

और भावनाएँ भी
इस तरह अश्रु के रूप में झरती हैं
मानों प्रभु खुद
अपने भक्त के लिए रो रहा हो...

दो हृदयों की सार्थकता खोकर
अहसास भी
इस तरह एकाकार हुए जाते हैं,
जिस तरह आत्मा
उस परम तत्व में विलीन होने को तत्पर रहती है...

शायद हमारा प्रेम ईश्वरीय ही है.....!!

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13 टिप्‍पणियां:

  1. भाव युक्त रचना ... ऐसा प्रेम सहज नहीं

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  2. जिस दिन मन से शायद निकल जाएगा,उस दिन भी आप इसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगी।

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  3. एक एक शब्द से जैसे ईश्वर साकार हो रहे हैं ...
    भावपूर्ण रचना !

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  4. शायद हमारा प्रेम
    ईश्वर ने अपनी कलम से लिखा है
    तभी तो ये है
    उसी की तरह पावन, उसी की तरह कोमल... प्रेम ही ईश्वरीय

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  5. बहुत सुन्दर,कोमल सी रचना...

    अनु

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  6. रश्मि दी की बात से सहमट हूँ। समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/

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  7. आप सभी प्रशंसकों का दिल से धन्यवाद एवं आभार... :)

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  8. बहुत सुंदर !

    महसूस करने की ही तो बात होती है
    ईश्वर की दी हुई हर चीज ईश्वरीय होती है !!

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  9. शायद हमारा प्रेम ईश्वरीय ही है.....!!
    सुंदर भावाभिव्‍यक्ति !!

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