जे हारें खितवा काटन जातीं...
भुनसारें सें चकिया पीसैं
तनक नहीं अलसातीं॥१॥ जे हारें...
चनन की भाजी चटनी-मिर्चा
ले लई रोटी ताती॥२॥ जे हारें...
एक तो धर लओ टुकना ऊपर
दूजो काँख कँखियातीं॥३॥ जे हारें...
नारायण-२ इतनों करतीं
तऊँ नईं सुख पातीं॥४॥ जे हारें...
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खुबसूरत गीत
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