बजा नगाड़ा प्रेम का,
बन्ना ब्याहन आया !!
सड़कों आया री, गोरी
का बन्ना सड़कों आया।
घोड़े पे हो सवार, बरात
बन्ना ले कर आया॥१॥
बजा नगाड़ा..........
गलियों आया री, गोरी
का बन्ना गलियों आया।
हाथ फ़ूलों के गाजरे,
बन्ना ले कर आया॥२॥
बजा नगाड़ा..........
मण्डप आया री, गोरी
का बन्ना मण्डप आया।
हाथ सिंदूर की डीबिया,
बन्ना ले कर आया॥३॥
बजा नगाड़ा..........
सेजों आया री, गोरी
का बन्ना सेजों आया।
हाथ इतर की डीबिया,
बन्ना ले कर आया॥४॥
बजा नगाड़ा..........
घूँघट खोलो री, नादान
बन्नी घूँघट खोलो।
मैं परदेशी पावना, जरा
मुख से बोलो॥
कैसे बोलूँ री, नादान
बन्ने कैसे बोलूँ।
सास-ननद की बहुरिया,
कैसे घूँघट खोलूँ॥
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सुंदर लोकगीत ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: पिता
सुन्दर लोक गीत धुन भी पता चले तो मजा दोगुना हो जाए :-)
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही बढिया
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन लोक गीत
जवाब देंहटाएंलाजवाब....
:-)