2 अक्तूबर 2012

एक महान आत्मा...! (महात्मा गाँधी)



कोई नहीं जान पाया उसे
महान आत्माएँ होती भी नहीं
इतनी सरल, कि
चिन्हित कर सके उन्हें
कोई आम आदमी...
वह
जिसने हिला दिया
चट्टान सरीखा,
ब्रिटिश साम्राज्य
चुटकी में, फूँक मारकर...
पर, कितनी ताकत होगी
उस एक फूँक में
सोचना होगा, विचारना होगा
जो संभव नहीं है
एक साधारण मानव के द्वारा...
वह, एक शरीर
जिसमें शक्ति थी
अनेकों शरीरों की
जोड़ा था, जिसने उन्हें
अपने आत्मबल के द्वारा...
वह आत्मबल
जिसे पहचान नहीं पाया
कोई आम आदमी...
चली गई
वह महान आत्मा
अपना सब कुछ लुटा कर
कुछ नहीं माँगा, अपने लिए
फिर भी नहीं जान पाए, हम उसे
क्योंकि
हम सब भी हैं
एक आम आदमी.....!!

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9 टिप्‍पणियां:

  1. उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।

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  2. सच ३० करोड़ लोगों को जगा देना मामूली इंसान कैसे हो सकता है ...
    बापू को नमन
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. एक महान आत्मा...! (महात्मा गाँधी)
    डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'
    अंजुमन

    बहुत खूब !!

    हम सब आम आदमी भी
    क्यों ना फिर से उठें
    नींद और सपने परित्याग
    कर फिर से जगें
    कोशिश कुछ करें उस
    चट्टान की तरह ना सही
    छोटे छोटे पत्थर ही बनें
    उस अकेले की सामर्थ्य
    को याद करे नमन करें
    एक जुट होकर एक
    नई सुबह के लिये
    नये रास्ते को चलिये बुनें !

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  5. हम सब नहीं जान पाए उसे क्योंकि हम है आम आदमी !
    आत्मावलोकन यही सिद्ध करता है !

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  6. आत्मावलोकन करने को प्रेरित करती प्रस्तुति

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  7. वह आत्मबल
    जिसे पहचान नहीं पाया
    कोई आम आदमी...
    बिल्‍कुल सही कहा ... उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  8. गांधी उपनाम धारी गांधी जी के "नाम "का ही खा रहें हैं .देश को लजा रहे हैं .

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