आज
लिखा जीवन के पट पर
यारों
मैंने गीत नया
नई
सुगन्ध है, नई किरण है
जीवन
मुझको नया मिला..
अब न
रुकुँगी जीवन-पथ पर
प्रण
मैंने है आज किया
जितने
कंटक और शूल थे
आज
सभी को पार किया..
आँखों
में अब नहीं याचना
न ही
अश्रु की है धारा
साँसों
में है नई ताज़गी
शब्दों
में जीवन-धारा..
साथ
चलेगा जग मेरे अब
मैं
सबको दिखलाउँगी
पथ-प्रशस्त
कर इस जग का मैं
जग-जननी
कहलाउँगी...
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सुन्दर रचना
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