28 मई 2012

खामोश हो तुम...



जब खामोश हो तुम
तो मानो दुनिया की अभिव्यक्ति है
जब बोलते हो, तो
लगता है, सब कुछ शांत हो गया है
मेरे मन के भीतर

उस गहरे सूनेपन में
एक आवाज बनकर आते हो
और भिगो जाते हो
दिल की गहराई तक
मन भी भर जाता है
एक अनकही पीड़ा से

उस पीड़ा के अहसासों से
एक सुन्दर क्षवि मैनें बनायीं है
जिस दिन साकार होगी ये क्षवि
गा उठेगा मेरा मन
कुछ अनकहे भावों से
कुछ अनकहे अहसासों से
जो मचल रहे हैं आज भी
मेरे मन के अन्दर ही
क्योंकि खामोश हो तुम...!!

4 टिप्‍पणियां:

  1. जब खामोश हो तुम
    तो मानो दुनिया की अभिव्यक्ति है
    जब बोलते हो, तो
    लगता है, सब कुछ शांत हो गया है
    मेरे मन के भीतर ... एक खामोश ख्याल सी अभिव्यक्ति

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  2. खामोश ख़याल की छवि दुरुस्त होगी !
    सुन्दर !

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  3. प्राक्रितिक सुंदरता से सराबोर ,कोमल एहसास वाली सुंदर रचना ।
    फुर्सत मिले तो आदत मुस्कुराने की पर ज़रूर आईये

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  4. कुछ अनकहे अहसासों से
    जो मचल रहे हैं आज भी
    मेरे मन के अन्दर ही
    क्योंकि खामोश हो तुम...!!

    bahut sunder likha hai man ke bhaavon ko, man bhaya.

    shubhkamnayen

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