कभी-२ अचानक ही दिलो-दिमाग कुछ अनकहे भावों से गुंजायमान होने लगता है। उन भावों को यदि लयबद्ध अभिव्यक्ति दे दी जाये, तो वही कविता का रूप ले लेते हैं। उनमें से ही कुछ भावों को मैंने कविता का जामा पहनाने का दुस्साहस किया है एवं अपने दिल के अहसासों का एक ‘अंजुमन’ सजाया है। मेरी इस कोशिश से शायद इस दिल के कुछ अहसास आपके दिल तक पहुँच सकें.....
- डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'
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अंजुमन में सजते रहे एहसास!
जवाब देंहटाएंढ़ेर सारी शुभकामनाएं!
धन्यवाद...
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