एक सवाल
जिसका ज़वाब
ना वो देना चाहते हैं
ना हम सुनना चाहते हैं
क्योंकि वो जानते हैं कि
वो कभी सच नहीं बोल पायेंगे
और हम जानते हैं कि
उनके झूँठ पर भी कर लेंगे यकीन हम
और फ़िर
ना हम जी पायेंगे
और ना ही
वो सुकून से रह पायेंगे
इसलिए
अपने-२ दिलों की बेहतरी के लिये
हमने सुला दिया
अपने जज्बातों को
किसी गहरी कब्र के
सुकूँ भरे आगोश में
जो महक रहे हैं
एक-दूसरे की खुशबुओं से
होकर सराबोर
और कर रहे हैं इन्तज़ार
बेहतर वक्त का
ताकि छू सकें
एक-दूसरे की रुहों को
और जी लें
एक कतरा ज़िन्दगी.....!!
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सुन्दर कविता ।
जवाब देंहटाएंमेरी नयी पोस्ट "10 रुपये के नोट नहीं , अब 10 रुपये के सिक्के" को भी एक बार अवश्य पढ़े ।
मेरा ब्लॉग पता है :- harshprachar.blogspot.com
ताकि छू सकें
जवाब देंहटाएंएक-दूसरे की रुहों को
और जी लें
एक कतरा ज़िन्दगी....
resent post : तड़प,,,
लाजवाब प्रस्तुति उम्दा भाव
जवाब देंहटाएंअरुन शर्मा
www.arunsblog.in
बेहतरीन रचना .
जवाब देंहटाएंbehatarin wa bhawpoorna prastuti
जवाब देंहटाएंकई प्रश्नों की तड़प बस महसूस की जाती है ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना ...
bahut behtreen.....
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