अनुभूतियों के उजाले में
एक परछाईं सी दिखती है
शायद एहसास है वो तेरा
महसूस तो यही होता है...
कभी-२ उलझन सी होती है
कि तुम होकर भी नहीं हो।
घर की दीवारों पर
तेरा लम्स सा महसूस होता है...
मैं हूँ, कि शायद वो भी नहीं हूँ
या मुझ में भी तू है,
यही तो वो जलजला है
जो मुझे जिन्दा रखता है.....!!
X X
X X
सुंदर भावभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंकिसी के होने का एहसास सांसों की गर्मी को ज़िंदा रखता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा नज़म ...
अनुभूतियों के उजाले में
जवाब देंहटाएंएक परछाईं सी दिखती है
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
शब्दों की मुस्कुराहट पर .... हादसों के शहर में :)