आज़ादी
एक मूल्यहीन शब्द
बनकर रह गया है
हमारे लिए...
मूल्यवान था ये
उनके लिए
जिन्होंने पाया था इसे
अपना सब कुछ
न्योछावर करने के बाद...
कीमत पूछो आज़ादी की
उस पंछी से
जो कैद है पिंजरे में
और उसकी सूनी आँखें
ताक रही हैं
खुला आकाश
एक उन्मुक्त उड़ान के लिए...
आज़ादी का महत्त्व तो वो भी जानते हैं
जो कैद हैं
काल-कोठरी में
और तरस रहे हैं
मिलने को, अपनों से...
प्रश्न तो ये है ?
हम क्यों नहीं समझते मोल
इस आज़ादी का
सिर्फ इसलिए, कि
कुछ खोया नहीं हमने
इसे पाने के लिए
या शायद
हम इंतजार कर रहे हैं
पुनः उन बंधनों का
ताकि हमें महसूस कराया जा सके
वास्तविक अर्थ
इस आज़ादी का
और हम मना सकें
सही अर्थों में
एक आज़ादी पर्व.....!
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बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
सच लिखा है आपने....
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जय हिंद!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!