25 जून 2012

मत कहो मुझे चाँद...!




मत कहो मुझे चाँद !
मुझे नहीं भाता, ये अकेलापन
इससे अच्छा हम तारे होते
साथ-2 टिमटिमाते सारी रात
दिन भर तड़पते साँझ के इंतजार में
 इस तड़प का भी अलग मजा है
मीठा-2 सा दर्द महसूस होता है
कहो ना, बनोगे ना मेरे रात के हमसफ़र
आज से मुझे चाँद मत कहना
मुझे तारा होने में ही सुख है
       मुझे केवल तुम्हारा साथ चाहिए.....!!

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