26 मई 2015

नेमतों के गुलदस्ते...!




फ़िर से बख्शे हैं तूने नेमतों के गुलदस्ते
फ़िर से उट्ठे हैं मेरे हाथ दुआओं के लिए॥१॥

फ़िर से महके हैं किसी नज़्म के हँसी दस्ते
फ़िर से आया है कोई, बज़्म में अल्फ़ाज़ लिए॥२॥

फ़िर से दी है तूने आवाज मेरे सैदाई
फ़िर से आए हैं, फ़ना होने को जज़्बात लिए॥३॥

फ़िर चमक उट्ठा है आकाश किसी लौ की तरह
फ़िर से टूटा है इक तारा तेरी सौगात लिए॥४॥

फ़िर से आया है अँधेरा मुझे डराने को
फ़िर से चमके हैं ये जुगनू तेरी कोई बात लिए॥५॥

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1 मई 2015

जीवन मुझको नया मिला...!




आज लिखा जीवन के पट पर
यारों मैंने गीत नया
नई सुगन्ध है, नई किरण है
जीवन मुझको नया मिला..

अब न रुकुँगी जीवन-पथ पर
प्रण मैंने है आज किया
जितने कंटक और शूल थे
आज सभी को पार किया..

आँखों में अब नहीं याचना
न ही अश्रु की है धारा
साँसों में है नई ताज़गी
शब्दों में जीवन-धारा..

साथ चलेगा जग मेरे अब
मैं सबको दिखलाउँगी
पथ-प्रशस्त कर इस जग का मैं
जग-जननी कहलाउँगी...


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17 अप्रैल 2015

तेरे सदके...!




पाओगे कैसे हमें उनकी निगाहों में कहो
जबकि हम उनकी धड़कनों में बसा करते हैं..

हमने अपनी हर एक साँस वार दी उन पर
एक वो हैं, जो दो-चार धड़कनों का गुमां करते हैं..

ठहरो, बालिश्तों से क्या नापोगे तुम कद मेरा
हम वो ज़र्रा हैं, जो तूफ़ानों सा दम भरते हैं..

तुमने तो कह ली अपनी, और बस कहते ही गए
हम तो चुप रह के, उनके सजदे किया करते हैं..

तुम क्या सिखाओगे हुनर, दरिया में बहने का हमें
हम तो खामोश किनारों से सबक लिया करते हैं..


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28 मार्च 2015

जनकपुर उत्सव है भारी




“ हो s s, रघुनन्दनजी घर आए,
              सजाओ बन्दनवार जी..
सब मिल के दीप जलाओ,
              गाओ मंगलचार जी...”

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हो s जी... रघुनन्दन जी की भाँवर,
         पड़न लागीं, सियाजी के संग.....

हो जी, आवहु मैया-बाबुल
         करहु दान कन्या का..॥१॥

हो जी, कर के पीले हाथ
         सुफ़ल अपना जनम करो..॥२॥

हो जी, पाली, दुलारी, ये राजकुमारी
         विदा कर दो..॥३॥

हो जी, सुख से रहो तुम लाडली
         प्यार सभी का मिले..॥४॥


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26 फ़रवरी 2015

सोहर / जच्चा (लोक-गीत)




हमरे तो पीर आवे, ननदी हँसत डोले-२

प्यारे सैंया, भोले सैंया
ननदी विदा करो
आज विदा करो, अभी विदा करो
हमरे तो पीर आवे...

साड़ी कढ़न गई, ब्लाउज सिलन गयो
गंगा-जमुना चढ़ रही हैं
कैसे विदा करूँ..
लेने कोई आया नहीं है
कैसे विदा करूँ..
हमरे तो...

साड़ी मैं अपनी दूँगी, ब्लाउज तो रानी का है
गंगा-जमुना नाव डला दो
ऐसे विदा करो..
छोटा देवर संग करूँगी
ऐसे विदा करो..
हमरे तो...


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14 फ़रवरी 2015

प्रीत की झीनी चदरिया...!




आओ हम ताना बुने
ज़िन्दगी के करघे पर
एक हाथ तुम्हारा, एक मेरा
और रंग तो प्यार के ही होंगे ना?
और हाँ,
कुछ बूटे
नोक-झोंक,
मान-मुनहार के भी बनाना
तभी तो खिलेगी ना
हमारी, प्रीत की झीनी चदरिया...

देखो,
तुम रोते बहुत हो
ऐसा मत करना
वरना रंग बह जाएँगे
मुझे हल्के रंग पसन्द नहीं..
वैसे भी,
जो खुशी के आँसू हैं ना
वो रंगों को गीला रखने के लिए काफ़ी हैं..
एक बात और
पास ही रहना मेरे
जैसे एक जिस्म, दो जान
धागे जितने महीन और करीब हों
कपड़ा उतना ही सुन्दर होता है
और मुलायम भी...

सुनो,
डोर, जो विश्वास की है
तोड़ ना देना उसे
वरना कपड़े पे दिखती साँठ
चुभेगी ज़िन्दगी भर
जब भी सहलाना चाहोगे
प्यार से...

क्यों
बुनोगे ना?
एक ताना
प्यार का, विश्वास का
मेरे साथ
ज़िन्दगी के करघे पर.....!!

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21 जनवरी 2015

बन्ना / विवाह-गीत (लोक-गीत)




तू काहे फ़िरे इतराता बन्ने मेरा बादशाही...

माली गली मत जइओ बन्ने मेरा बादशाही
ये मालन बड़ी मिजाजन रे सेहरे को देर लगाई
तू काहे फ़िरे.....॥१॥

दर्जी गली मत जइओ बन्ने मेरा बादशाही
ये दर्जन बड़ी मिजाजन रे जामे को देर लगाई
तू काहे फ़िरे.....॥२॥

सुनार गली मत जइओ बन्ने मेरा बादशाही
ये सुनारन बड़ी मिजाजन रे कंगने को देर लगाई
तू काहे फ़िरे.....॥३॥


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13 जनवरी 2015

राही पथ ना जाना भूल..!




राही पथ ना जाना भूल..
जो पथ ‌सत् का
रहे अटल वो
कभी ना तेरा मन भटके
हों कितने ही कष्ट मार्ग में
पग-पग पर हों बाधाएँ
किन्तु कभी ना डगमग होना
ना निराश निज मन को करना..
भले असत् मार्ग अपनाकर
जो है सरल, मनोहर, सुन्दर
तू पग-पग पर गर्वित हो ले
किन्तु अन्त में पछताएगा
खुद से हारा कहलाएगा..
होगी अन्तिम विजय उसी की
जो निज मन से ना हारेगा
सत्य मार्ग को अपनाकर ही
आत्म-विजेता कहलायेगा..


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