जो दर्द तूने दबा रखा
कब से सीने में।
खुदा करे कि मेरी आँख
से निकल जाए॥१॥
वो हँसी जो न खिल सकी
है मेरे चेहरे पे।
मेरी चाहत से तेरे लब
पे वो बिखर जाए॥२॥
जिन सवालों पे ये जमाना
हँसा करता है।
उन सवालों का हर जवाब
तू ही बन जाए॥३॥
वो इश्क जिसको सहेजा
है तूने पलकों में।
तेरी नज़रों से मेरे
दिल में वो उतर जाए॥४॥
वो वफ़ा, जिसपे जमाना
ये नाज़ करता है।
तुझे सँवार दे, मेरा
नसीब बन जाए॥५॥
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