29 जनवरी 2014

गज़ल






जो दर्द तूने दबा रखा कब से सीने में।
खुदा करे कि मेरी आँख से निकल जाए॥१॥

वो हँसी जो न खिल सकी है मेरे चेहरे पे।
मेरी चाहत से तेरे लब पे वो बिखर जाए॥२॥

जिन सवालों पे ये जमाना हँसा करता है।
उन सवालों का हर जवाब तू ही बन जाए॥३॥

वो इश्क जिसको सहेजा है तूने पलकों में।
तेरी नज़रों से मेरे दिल में वो उतर जाए॥४॥

वो वफ़ा, जिसपे जमाना ये नाज़ करता है।
तुझे सँवार दे, मेरा नसीब बन जाए॥५॥

        
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24 जनवरी 2014

ऐ लड़की, सुनो...!






ऐ लड़की, सुनो...!

तेरी बातें लोगों को चुभती क्यों हैं?
तेरे हर सवाल पे समाज चुप क्यों है?

हो सके तो
इन बातों को समझ ले
अपने मन में ही
इन्हें गुन ले...

वरना ये समाज ही
तुझ पे हँसेगा
तुझे ही
अपने फ़ंदे में कसेगा...

तू अन्दर से
इस तरह छिल जाएगी
अपने आँसुओं को ही
खारा बताएगी...

समय रहते सहेज ले
इन आँसुओं को
ये तेरी ही
अनमोल थाती बनेंगे
तुझे अपने पैरों पे
खड़े होने का माद्दा देंगे...

ये दुनियां कहाँ
औरों के लिए खड़ी होती है
हर किसी को अपनी बात
स्वयं ही कहनी होती है...

फ़िर एक दिन तू
खुद ही समझ जाएगी
इन बातों को सोच कर
स्वयं ही मुस्कुराएगी
कि...

तेरी बातें लोगों को चुभती क्यों हैं?
तेरे हर सवाल पे समाज चुप क्यों है?

ऐ लड़की, सुनो...!





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