6 दिसंबर 2012

‘मैं’ से ‘स्व’ की ओर...!







‘मैं’

कहने को तो,

पहचान बताता है इसे

हर कोई अपनी...

पर

क्या नहीं होता?

‘अहम’ का द्योतक

ये हमारे...

वास्तविक पहचान निखरती है

जब हम

डुबो देते हैं

इस ‘मैं’ को

आत्म-मंथन के

भंवर में...

और प्रकट होता है

हमारा ‘स्व’

श्वेत, धवल, पावन

स्वच्छ, निर्मलता से ओत-प्रोत

विलीन होने को आतुर

उस परम-तत्व में

जो वास्तविक पहचान है

हमारे ‘स्व’ की.....!!

       
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