अचानक एक दिन
लिखते-२
ठिठक गई मेरी कलम
दर्द..........!
किसका है ये दर्द ?
कहीं पूँछने ना लगें लोग...
क्या कवि सिर्फ़ अपनी ही पीड़ा लिखता
है ?
क्यों नहीं समझते लोग
कि कवि के अन्दर
एक दूसरा समाज साँस लेता है
जिसके दर्द उसके होते हैं...
अभिव्यक्ति भले ही कवि की हो
परन्तु भोगा तो किसी और ने होता है।
कवि संवेदनशील होता है
जो एहसास कराता है, इस बाहरी समाज को
उस आंतरिक पीड़ा से
जिसकी ओर से इसने, आँखें बन्द कर रखी हैं
और पहन रखा है मुखौटा
प्रगतिशील होने का !!
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जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति...
मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक 05-07-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल पर भी है...
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाएं तथा इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और नयी पुरानी हलचल को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी हलचल में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान और रचनाकारोम का मनोबल बढ़ाएगी...
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
जय हिंद जय भारत...
मन का मंथन... मेरे विचारों कादर्पण...
एकदम सत्य कथन !
जवाब देंहटाएंकुंवर जी,
सुंदर सृजन,बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन मिलिये ओम बना और उनकी बुलेट से - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंbehtareen kavita...
जवाब देंहटाएंपढ़ कर मुंह से वाह वाह ही निकलता हैं
जवाब देंहटाएंसच में बेहद सार्थक रचना है।
बहुत अच्छी लगी
एक दूसरा समाज साँस लेता है
जवाब देंहटाएंजिसके दर्द उसके होते हैं...
अभिव्यक्ति भले ही कवि की हो
परन्तु भोगा तो किसी और ने होता है।
very nice .
आपने बिलकुल सही कहा,लोग यही समझते है,
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारे ,http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html
सर्द तो हर किसी को होता है ... कवि उस दर्द को कह देता है ... शब्दों में उतर देता है बस ...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04/07/2013 के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
धन्यवाद
अति सुंदर ! कवि तो हर दिल के दर्द को स्वयं अनुभव करने की क्षमता रखता है और उसे सार्थक तरीके से संप्रेषित भी करना जानता है तभी तो एक व्यापक प्रतिक्रिया उदित होती है !
जवाब देंहटाएंकवि हर दिल का दर्द लिखता है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंlatest post मेरी माँ ने कहा !
latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंदर्द
दर्द
और सिर्फ
दर्द
सादर
सच कवि की पीड़ा सिर्फ अपनी नहीं होती सबकी होती है ....बहुत बढ़िया कृति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (06-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/ चर्चा मंच <a href=" पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच को बयान करती रचना...
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
sach kaha aapne.
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