13 जनवरी 2015

राही पथ ना जाना भूल..!




राही पथ ना जाना भूल..
जो पथ ‌सत् का
रहे अटल वो
कभी ना तेरा मन भटके
हों कितने ही कष्ट मार्ग में
पग-पग पर हों बाधाएँ
किन्तु कभी ना डगमग होना
ना निराश निज मन को करना..
भले असत् मार्ग अपनाकर
जो है सरल, मनोहर, सुन्दर
तू पग-पग पर गर्वित हो ले
किन्तु अन्त में पछताएगा
खुद से हारा कहलाएगा..
होगी अन्तिम विजय उसी की
जो निज मन से ना हारेगा
सत्य मार्ग को अपनाकर ही
आत्म-विजेता कहलायेगा..


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2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेरणादायी सुंदर अभिव्यक्ति। सच ही है मन के हारे हार है मन के जीते जीत।

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  2. वाह। आपकी रचनाये सृजन के लिए प्रेरित करती रहीं हैं. बहुत सुन्दर और सार्थक रचना.

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