‘मैं’
कहने को तो,
पहचान बताता है इसे
हर कोई अपनी...
पर
क्या नहीं होता?
‘अहम’ का द्योतक
ये हमारे...
वास्तविक पहचान निखरती है
जब हम
डुबो देते हैं
इस ‘मैं’ को
आत्म-मंथन के
भंवर में...
और प्रकट होता है
हमारा ‘स्व’
श्वेत, धवल, पावन
स्वच्छ, निर्मलता से ओत-प्रोत
विलीन होने को आतुर
उस परम-तत्व में
जो वास्तविक पहचान है
हमारे ‘स्व’ की.....!!
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स्व की खोज .... सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंउस परम-तत्व में
जवाब देंहटाएंजो वास्तविक पहचान है
हमारे ‘स्व’ की.....
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,
recent post: बात न करो,
गहन भावभिव्यक्ति इस स्व की खोज ताउम्र जारी रहा करती है।
जवाब देंहटाएंबहुत गहन और सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबेहतर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंमैं से हटें तो स्व को पायें !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत मंथन ....सादर
जवाब देंहटाएंये स्व मैं से बाहर आकार ही देखाई देता है ... पर आर किसी का इससे बाहर आना आसान नहीं ...
जवाब देंहटाएंAatam chintan ko prerit karte shabd
जवाब देंहटाएंजो स्व को पहचान कर अहम् पर काबू पा ले वही इंसान है
जवाब देंहटाएंhttp://www.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_29.html
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।
जवाब देंहटाएंब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...
bahut sunder.
जवाब देंहटाएंस्व की ओर यात्रा की एक कोशिश >> http://corakagaz.blogspot.com/2012/07/blog-post.html
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