16 अगस्त 2012

जीवन बने तुम्हारा...!



हवाओं में कुछ ऐसी खुशबू महक रही है
यूँ लग रहा है जैसे तुम मुझे बुला रहे हो...

ये खुशबू के बहाने, क्या प्यार है तुम्हारा
मन को लुभा रहा है, अहसास ये तुम्हारा...

ये हवाओं ने कहा है, इन फ़िज़ाओं ने सुना है
तुम हो बहुत ही प्यारे, मेरे दिल ने जो चुना है...

ये हवाएं गा रही हैं, दिल का है जो इशारा
अब चाह है ये मेरी, जीवन बने तुम्हारा...!!

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15 अगस्त 2012

आज़ादी पर्व के मायने...!



आज़ादी
एक मूल्यहीन शब्द
बनकर रह गया है
हमारे लिए...
मूल्यवान था ये
उनके लिए
जिन्होंने पाया था इसे
अपना सब कुछ
न्योछावर करने के बाद...
कीमत पूछो आज़ादी की
उस पंछी से
जो कैद है पिंजरे में
और उसकी सूनी आँखें
ताक रही हैं
खुला आकाश
एक उन्मुक्त उड़ान के लिए...
आज़ादी का महत्त्व तो वो भी जानते हैं
जो कैद हैं
काल-कोठरी में
और तरस रहे हैं
मिलने को, अपनों से...
प्रश्न तो ये है ?
हम क्यों नहीं समझते मोल
इस आज़ादी का
सिर्फ इसलिए, कि
कुछ खोया नहीं हमने
इसे पाने के लिए
या शायद
हम इंतजार कर रहे हैं
पुनः उन बंधनों का
ताकि हमें महसूस कराया जा सके
वास्तविक अर्थ
इस आज़ादी का
और हम मना सकें
सही अर्थों में
एक आज़ादी पर्व.....!

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9 अगस्त 2012

भजन



                   कान्हा ने वंशी बजायी,


              राधा रानी दौड़ी चली आई...

१.  कान्हा की मुरली जग से निराली,
             मीरा के भी मन को भायी...
                       राधा रानी...............!

२.  सारी गोपियाँ मुरली सुन रीझें,
              कान्हा ने की चतुराई...
                           राधा रानी.............!

३.  मीरा और राधा दोनों दीवानी,
                     तन-मन की सुध बिसराई...
                            राधा रानी.............!

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1 अगस्त 2012

मेरा वज़ूद...!



सोच के परदे बन्द करके
अँधेरे कमरे के
इक कोने में
बैठा मेरा वज़ूद...
कभी गुनगुनाता
कभी सिसकता
कभी अपने होने पे
प्रश्न-चिन्ह लगाता ?
कभी इतराता, कभी इठलाता
कभी ताकता सूनी छत की ओर
कभी सिमट जाता अपने-आप में
ढूँढने लगता अन्दर ही
कि कहीं मिल जाये
अपने-आप को ढूँढता
अपने-आप में खोया
मेरा वज़ूद.....!!

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19 जुलाई 2012

हमारा प्रेम ईश्वरीय है...!



शायद हमारा प्रेम
ईश्वर ने अपनी कलम से लिखा है
तभी तो ये है
उसी की तरह पावन, उसी की तरह कोमल...

और भावनाएँ भी
इस तरह अश्रु के रूप में झरती हैं
मानों प्रभु खुद
अपने भक्त के लिए रो रहा हो...

दो हृदयों की सार्थकता खोकर
अहसास भी
इस तरह एकाकार हुए जाते हैं,
जिस तरह आत्मा
उस परम तत्व में विलीन होने को तत्पर रहती है...

शायद हमारा प्रेम ईश्वरीय ही है.....!!

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12 जुलाई 2012

मेरा जीवन-संघर्ष.....!



( ये कविता उन स्वतंत्रतासेनानियों तथा समाज-सेवियों  को समर्पित है, जो दूसरों के लिए अपने जीवन को न्योछावर करने में ज़रा भी नहीं सकुचाते... )



आज मेरा जीवन-संघर्ष,
   पूँछने लगा मुझसे यूँ आकर...
 क्या पाया तुमने,
   दूसरों के लिए खुद को मिटाकर...
  क्या जवाब देता मैं,
       रह गया मुस्कुरा कर.....!

   वो क्या जाने, कितना सुकून
पाता हूँ,
 जब दूसरों के दिल को,
   थोड़ी सी ख़ुशी दे पाता हूँ...
 शायद ये एहसास हो जाये,
      अपने इंसान होने का मतलब समझ में आ जाये.....!

मिटटी से उपजे और
   मिटटी में ही मिल जाना है...
 हमारे जीवन का,
   सिर्फ यही ताना-बाना है...
  गर दर्द बाँट लो, तुम दूसरों का,
      ये ताना खुशबुओं से सराबोर हो जाये.....!

 अनगिनत राहें खुल जाएँगी,
   उनमें से हर एक, मंजिल की ओर ले जाएगी...
 जीवन का स्वर्गिक आनंद तो पाओगे,
       इंसान होने का सही अर्थ भी समझ जाओगे.....!!

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6 जुलाई 2012

कुछ प्यार से...



प्यार भी ना
कितने प्यारे से उसूल हैं इसके
हर जिद में
अपने महबूब की ख़ुशी शामिल होती है.....

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कभी जिन्दगी को करीब से देखा है.....?
देखोगे
जब पड़ोगे किसी के प्यार में.....

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कितने ऊबड़-खाबड़ रास्तों से
गुजरती है ये जिन्दगी...
पर ये रास्ते भी
गुनगुनाने लगते हैं,
जब साथ हो कोई अजनबी
पर अपना सा.....!!

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