ज़िन्दगी.....!
रेत पे लिखा शब्द
हो गयी है मेरी ज़िन्दगी
नीरव, निःशब्द
सुनसान ज़िन्दगी...
क्योंकर इतना दुःख
मेरी झोली में आया
बेनाम सा राग
बन गयी है ज़िन्दगी...
इस कदर तन्हा
बेनाम सी ज़िन्दगी
गर्म ज़मीन पर
नंगे पैरों चलती
सुलगती ज़िन्दगी...
जब भी देखना चाहा
अपने दिल में झाँककर
खाली ही लगती
तेरी याद ज़िन्दगी.....!!
nice
जवाब देंहटाएंजब भी देखना चाहा
जवाब देंहटाएंअपने दिल में झाँककर
खाली ही लगती
तेरी याद ज़िन्दगी.....!
भावमय करते शब्द ... बेहतरीन
लगता है कि दिल की गहराइयों से लिखी है यह रचना... बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंक्यूँ हर तरफ ऐसी ही दिखती है ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंफूलों पर पाँव रखते ही
वे कांटे हो जाते हैं ...
हाथ आकर भी हाथ नहीं आती ज़िन्दगी
bahut badhiya.....behtarin
जवाब देंहटाएंज़िंदगी -
जवाब देंहटाएंदिन का शोर है
जो
रात की खामोशी में
खो जाता है ।
बहुत खूबसूरती से उकेरे हैं भाव
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
मन की आवाज़ लग रही है ये रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावभरी रचना
जवाब देंहटाएं:-)
man ko chhoo gayi apki prastuti.
जवाब देंहटाएंजिंदगी और शब्दों का गहरा तालमेल...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है !
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