मत कहो मुझे चाँद !
मुझे नहीं भाता, ये अकेलापन
इससे अच्छा हम तारे होते
साथ-2 टिमटिमाते सारी रात
दिन भर तड़पते साँझ के इंतजार में
इस तड़प का भी अलग मजा है
मीठा-2 सा दर्द महसूस होता है
कहो ना, बनोगे ना मेरे रात के हमसफ़र
आज से मुझे चाँद मत कहना
मुझे तारा होने में ही सुख है
मुझे केवल तुम्हारा साथ चाहिए.....!!
मुझे नहीं भाता, ये अकेलापन
इससे अच्छा हम तारे होते
साथ-2 टिमटिमाते सारी रात
दिन भर तड़पते साँझ के इंतजार में
इस तड़प का भी अलग मजा है
मीठा-2 सा दर्द महसूस होता है
कहो ना, बनोगे ना मेरे रात के हमसफ़र
आज से मुझे चाँद मत कहना
मुझे तारा होने में ही सुख है
मुझे केवल तुम्हारा साथ चाहिए.....!!
अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ......
जवाब देंहटाएंसुन्दर :)
जवाब देंहटाएंवाह नूतन अंदाज़, नूतन नज़रिया
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